भारत ने ईरान से हर छह महीने पर 20 फीसदी की औसत दर से तेल आयात कम करने की कोशिश की थी। अब अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप का दबाव है कि इसे जीरो तक जाना चाहिए यानी तेल आयात नहीं।
नई दिल्ली। ईरान से तेल आयात को लेकर अमेरिका ने भारत पर भी सख्ती दिखाई है। ऊर्जा के स्तर पर स्वावलंबी होने की की कोशिश कर रहे भारत के लिए झटका है और प्रतिबंधों से बचने के लिए उसे अमेरिका के सामने मजबूर भी होना पड़ सकता है। ऑयल मिनिस्ट्री ने रिफाइनरियों को नवंबर से ईरान से होने वाले तेल निर्यात में बड़ी कमी के लिए तैयार रहने को कहा गया है। इस मामले से जुड़े दो लोगों ने इस बात की जानकारी दी है। ऐसे में अमेरिका द्वारा ईरान पर लगाए गए प्रतिबंधों को देखते हुए इसे भारत की प्रतिक्रिया का संकेत माना जा रहा है।आपको बता दें कि संयुक्त राष्ट्र में नियुक्त अमेरिकी राजदूत निकी हेली ने अपनी दिल्ली की यात्रा में ईरान को लेकर यूएस के नजरिये से भारत को स्पष्ट तरीके से अवगत भी करा दिया है। गुरुवार को अपने स्पेशल अड्रेस में हेली ने कहा, ईरान के नाभिकीय हथियारों के खिलाफ विश्व एकजुट है। हमारे पास इस बात की चिंता के वाजिब कारण हैं कि ईरान उन हथियारों के साथ क्या करेगा। हालांकि भारत का कहना है कि यह अमेरिका द्वारा लगाए गए एक तरफा प्रतिबंधों को नहीं मानता है, बल्कि यूएन के प्रतिबंधों का पालन करता है। लेकिन इस मामले से जुड़े सूत्रों का कहना है कि चीन के बाद भारत ही ईरान के तेल का सबसे बड़ा खरीदार है, ऐसे में भारत की यह संकेतात्मक प्रतिक्रिया काफी महत्वपूर्ण है।ओबामा प्रशासन के दौरान ही भारत ने ईरान से तेल आयात में कमी दिखाई थी। भारत ने ईरान से हर छह महीने पर 20 फीसदी की औसत दर से तेल आयात कम करने की कोशिश की थी। अब अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप का दबाव है कि इसे जीरो तक जाना चाहिए यानी तेल आयात नहीं। यही वजह है कि मई के शुरुआती दिनों से इतर इस हफ्ते अमेरिकी विदेश विभाग ने ईरान के मसले पर की गई ब्रीफिंग में ज्यादा सख्ती दिखाई।ईरान पर हेली का सख्त संदेश ऐसे समय में आया है जब अमेरिका ने विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो के नॉर्थ कोरिया की यात्रा के मद्देनजर भारत के साथ 2+2 डायलॉग भी टाल दिया है। इस फैसले को एक तरह से भारत को खुले तौर पर तवज्जो नहीं देने की तरह देखा जा रहा है। वह भी ऐसे समय में जब बढ़ते ट्रेड और इकनॉमिक विवादों की वजह से द्विपक्षीय संबंध पहले से डंवाडोल चल रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि यह डायलॉग जल्द ही रीशेड्यूल किया जाएगा लेकिन 4 टॉप मंत्रियों को फिर एक बार एक दिन के लिए साथ लाना चुनौतीपूर्ण होगा।